जन संघ सेवक मंच
आज जिस प्रकार हिन्दू धर्म पर चारों ओर से आघात हो रहे हैं, उनको देखते हुए यह स्पष्ट है कि संगठन के अतिरिक्त आत्मरक्षण किसी द्वारा प्रदान साधन नहीं है। सभी मतभेदों को भुलाकर संगठित होकर ही इस समय अपने आचार और समाज की रक्षा की जा सकती है। इसके लिए भरपूर प्रयत्न करना हिन्दू धर्म के प्रत्येक व्यक्ति का कर्त्तव्य होना चाहिए, परन्तु यह ध्यान रखना चाहिए कि यह संगठन आपातकालिक है, आपद्धर्म है। जब तक ऐसी बात ठीक नहीं समझ ली जाती, तब तक संगठन पूर्ण नहीं होंगे। लोग अपने-अपने संगठनों को स्थायित्व और महत्त्व देने लगते हैं, इससे अहंकार पोषित होता है। शक्ति संगठित होने के स्थान पर छिन्न-भिन्न हो जाती है। इस समय हमें हो शक्ति एकत्र करना है तथा दुसरे प्रचार के लिए संगठन बनाकर क्षेत्र प्राप्त करना ये पाश्चात्य सभ्यता के शस्त्र हैं। कण्टकम के न्यास से हम इस आपत्ति के समय हम इनका आपद्धर्म के रूप में उपयोग तो कर सकते हैं और करना ही चाहिए परन्तु यदि हमें अपने धर्म को अविकृत रखना है तो इनके स्थायित्व का मोह छोड़ना होगा। यह हिन्दू धर्म की मूल प्रवृत्ति के विपरीत है।

राष्ट्र प्रेम
संघ के माध्यम से समाज के सभी वर्गों में धार्मिक, सामाजिक और राष्ट्र प्रेम की भावना को बढ़ाना तथा समाज व राष्ट्र के विकास के लिए कार्य करना।

स्किल डेवलपमेंट
संघ द्वारा स्किल डेवलपमेंट द्वारा शिक्षा प्रदान करने का प्रबंध करना। समाज में अच्छी शिक्षा का प्रचार प्रसार करना तथा समाज के लोगों के जीवनस्तर को सुधरने का प्रयास करना।

जन लाभ
जान प्रतिनिधियों को आम जन लाभान्वित करने और क्षेत्र के विकास सम्बन्धी योजनाओं पर कार्य करने के लिए प्रशिक्षित करना।

गऊ अस्पताल
संघ में गौशाला में गऊ के खान-पान का पूर्ण प्रबंध करना। संघ द्वारा बीमार गऊ का इलाज़ करने के लिए डिस्पेंसरी व अस्पताल का निर्माण व संचालन करना।